Happy Guru Ravidas Jayanti 2022 : आज रविदास जयंती है। पूरे देश में संत रविदास बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। इस दिन संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में उनके जन्म स्थान पर एकत्रित होकर भजन कीर्तन करते हैं। रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।
संत रविदास को रैदासजी के नाम से भी जाना जाता तहै। इनके माता-पिता एक चर्मकार थे। संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे। इन्होंने आजीविका के लिए अपने पैतृक कार्य को अपनाते हुए हमेशा भगवान की भक्ति में हमेशा ही लीन रहा करते थे। संत रविदास जी, जिन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। इन्होंने आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणादायक हैं। आइए जानते हैं संत रविदास जयंती के अवसर उनके अनमोल विचार..
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’
संत रविदास जी के द्वारा कहा गया यह कथन सबसे ज्यादा प्रचलित है। जिसका अर्थ है कि अगर मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है।
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।।
इसका अर्थ है कि ‘कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं। संत रविदास जी सभी को एक समान भाव से रहने की शिक्षा देते थे।
कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें। इस छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है परंतु एक हाथी इतना विशालकाय और ताकतवर होने के बाद भी ऐसा नहीं कर सकता।
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास
गुरु रविदास जी कहते हैं कि ज्यादा धन का संचय, अनैतिकता पूर्वक व्यवहार करना और दुराचार करना गलत बताया है। इसके अलावा अंधविश्वास, भेदभाद और छोटी मानसिकता के घोर विरोधी थे।
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